ई मेल पर प्राप्त प्रतिक्रिया : की बोर्ड के सिपाही के हाथ में कलम देखकर अच्छा लगा। झंडा बुलंद किए हैं आप अपना भी...अपने लेखन का भी...और हां निब वाले पैन का भी....badiya cartoon hai पीयूष पांडे
jai ho gurudev, kya badhiya dikh rahe ho.. wah ji wah .. mera dill to garden garden ho gaya .. wah ..guru agar aapka aashirwad raha to ek din main bhi eisa hi kahin nazar aaunga ...
जानदार है, लेकिन शानदार भी होता अगर हाथ में कलम की बजाय सिर पर मॉनीटर लदा होता। बहरहाल, इस खूबसूरत काम के लिए बधाई। आपका मेल स्पैम पर आया, यह बात समझ में नहीं आई।
मेरा अंगूठा तो कीबोर्ड पर ही टिकता है पर कलम फेंक नहीं रहा हूं इसका जादू कीबोर्ड पर ट्रांसफर कर रहा हूं जमाने भर के लिए हिंदी ब्लॉगिंग का मार्ग प्रशस्त करने का प्रयास कर रहा हूं।
हमारे अवि भैया का कार्टून? वो भी कलम उठाये हुए ...कि अच्छे अच्छो को रस्ते पर ले आते है इससे.ये इनकी ताकत है,तलवार,तोप भी और ....प्रकाश-स्तंभ भी.हा हा हा वाह जी बहुत खूब!
jai kalam
ReplyDeleteवाह भाई खूब!
ReplyDeleteइतनी बड़ी कलम, तभी इतना लिख पाते हैं।
इनका चश्मा टपा लिए क्या।
ReplyDeletekey board ki jgah kalam?
ReplyDeleteवाह !!! बहुत खूब ...
ReplyDeleteblogaron ke cartoonist ki jai ho!
ReplyDeleteek request,please apna profile to daal den.
कलम तो इनकी यकीनन बहुत ही बड़ी है लेकिन चश्मे को नदारद क्यूँ कर दिया भाई?....
ReplyDeleteबढिया कार्टून
भाई अविनाश पधारे हैं
ReplyDeleteऔर कलम धारे हैं
इनकी कलम की धार तीखी है
इनके बिना ब्लॉगवाणी भी फीकी है
क्या बात है, बिल्कुल सेम टू सेम
ReplyDeleteई मेल पर प्राप्त प्रतिक्रिया :
ReplyDeleteकी बोर्ड के सिपाही के हाथ में कलम देखकर अच्छा लगा। झंडा बुलंद किए हैं आप अपना भी...अपने लेखन का भी...और हां निब वाले पैन का भी....badiya cartoon hai
पीयूष पांडे
ई मेल पर प्राप्त प्रतिक्रिया :
ReplyDeleteभई वाह । आपसे इस तरह मुखातिब होना आनन्द दे रहा है। कार्टून की तूलिका के नीचक आनक पर बधाई।
डॉ. कमलकांत बुधकर
अब पहचाना।:)
ReplyDeletejai ho gurudev, kya badhiya dikh rahe ho.. wah ji wah .. mera dill to garden garden ho gaya .. wah ..guru agar aapka aashirwad raha to ek din main bhi eisa hi kahin nazar aaunga ...
ReplyDeletemaza aa gaya. this cartoon made my day..
bahut badhai .
vijay
बहुत खूब बनाया यह आपने :)
ReplyDeletekalam nahi.. laptop hona chahiye tha..sundar
ReplyDeleteमन से कह रहा हूं बिना लेपटाप के भी टापोटाप हैं अविनाश जी वाचस्पति।
ReplyDeleteशानदार।
ReplyDeleteदिनेशजी ने सही कहा...इत्ती बड़ी कलम। कैरीकैचर बनानेवाले की कलम ही इससे बड़ी हो सकती है...बाकी तो...
ReplyDeleteअजित वडनेरकर जी
ReplyDeleteशब्दों के साथ साथ जवाबों पर
कमाल की हाजिरी लगाते हैं
मतलब हाजिर जवाब।
सलाम अजित जी को।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteकलम नहीं मिसाइल है...जो निकम्मो का नाश करती है..
ReplyDeleteजानदार भी शानदार भी।
ReplyDeleteजानदार है, लेकिन शानदार भी होता अगर हाथ में कलम की बजाय सिर पर मॉनीटर लदा होता। बहरहाल, इस खूबसूरत काम के लिए बधाई। आपका मेल स्पैम पर आया, यह बात समझ में नहीं आई।
ReplyDeleteबलराम अग्रवाल
कार्टून देखकर लगता है अविनाश जी
ReplyDeleteएक हाथ से कलम फेंक रहे हें
और दूसरे हाथ से अंगूठा टेक रहे हैं
मेरा अंगूठा तो कीबोर्ड पर ही टिकता है
ReplyDeleteपर कलम फेंक नहीं रहा
हूं
इसका जादू कीबोर्ड पर ट्रांसफर कर रहा हूं
जमाने भर के लिए हिंदी ब्लॉगिंग का मार्ग
प्रशस्त करने का प्रयास कर रहा हूं।
अविनाश जी ने अपनी अभिनव टिप्पणियों से हिन्दी टिप्पणीकारी को एक नया तरीका दिया है । उनका यह कार्टून मोहक है ।
ReplyDeleteबड़ी कलम को सलाम।
ReplyDeleteकलम को की बोर्ड का सलाम
ReplyDeleteनेटकास्टिंग:प्रयोग
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Editorials
हमारे अवि भैया का कार्टून? वो भी कलम उठाये हुए ...कि अच्छे अच्छो को रस्ते पर ले आते है इससे.ये इनकी ताकत है,तलवार,तोप भी और ....प्रकाश-स्तंभ भी.हा हा हा वाह जी बहुत खूब!
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