तीखे और ताजे कार्टूनों का अड्डा...
भई वाह...मनभावन...अतिसुहावन...
वाणी नदारद केस तो कम हैंकलम के रुतबे में खूब दम है
केसवानी जी का तो मैं बहुत ही बड़ा पंखा हू..
फिर तो सर्दियों में गर्मऔरगर्मियों में ठंडी हवादेते होगे।ऐसे पंखें तो मुझे भी चाहिएं।
भई वाह...
ReplyDeleteमनभावन...अतिसुहावन...
वाणी नदारद केस तो कम हैं
ReplyDeleteकलम के रुतबे में खूब दम है
केसवानी जी का तो मैं बहुत ही बड़ा पंखा हू..
ReplyDeleteफिर तो सर्दियों में गर्म
ReplyDeleteऔर
गर्मियों में ठंडी हवा
देते होगे।
ऐसे पंखें तो मुझे भी चाहिएं।