Sunday, March 29, 2009

राजकुमार केसवानीजी से 'आपस की बात'...


4 comments:

  1. भई वाह...
    मनभावन...अतिसुहावन...

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  2. वाणी नदारद केस तो कम हैं

    कलम के रुतबे में खूब दम है

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  3. केसवानी जी का तो मैं बहुत ही बड़ा पंखा हू..

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  4. फिर तो सर्दियों में गर्म

    और

    गर्मियों में ठंडी हवा

    देते होगे।

    ऐसे पंखें तो मुझे भी चाहिएं।

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