तीखे और ताजे कार्टूनों का अड्डा...
लोगों को लगता है अब यह समझ में आने लगा है कि वास्तव में लातों के भूत बातों से नहीं मानते तभी तो जूते और चप्पल नेताओं पर चलने लगे हैं। एक नजर हमारी इस तुकबंदी पर गौर फरमा लें लातों के भूत बातों से नहीं मानतेयह बात गर सब जान जातेदेश के भ्रष्ट नेता-मंत्री देश को खोखला नहीं कर पाते हर घर में गर एक जनरैल जैसे इंसान हो जाते तो नेताओं की गलतबयानी पररोज उनकी बजाते नेता फिर काफी सोच-समझ कर राजनीति में आते ऐसे में ईमानदारों के लिए राजनीति के रास्ते खुल जाते और फिर मंत्रियों की कुर्सियों पर हम ईमानदार नेता ही पाते
चप्पलों के भूत जूतों से नहीं मानते।
अभी तो गरीब ने अपना हथियार स्लीपर चलाया ही नही है।
मुझे तो कार्टून देख कर ही हँसी आ गई...चम्म्पल चलाने को सही या गलत जो मानूं...
:) :) :)
बढिया कार्टून!!राजकुमार जी की तुकबंदी भी बढिया है।:)
लोगों को लगता है अब यह समझ में आने लगा है कि वास्तव में लातों के भूत बातों से नहीं मानते तभी तो जूते और चप्पल नेताओं पर चलने लगे हैं।
ReplyDeleteएक नजर हमारी इस तुकबंदी पर गौर फरमा लें
लातों के भूत बातों से नहीं मानते
यह बात गर सब जान जाते
देश के भ्रष्ट नेता-मंत्री
देश को खोखला नहीं कर पाते
हर घर में गर एक जनरैल जैसे
इंसान हो जाते
तो नेताओं की गलतबयानी पर
रोज उनकी बजाते
नेता फिर काफी सोच-समझ कर
राजनीति में आते
ऐसे में ईमानदारों के लिए
राजनीति के रास्ते खुल जाते
और फिर मंत्रियों की कुर्सियों पर हम
ईमानदार नेता ही पाते
चप्पलों के भूत जूतों से नहीं मानते।
ReplyDeleteअभी तो गरीब ने अपना हथियार स्लीपर चलाया ही नही है।
ReplyDeleteमुझे तो कार्टून देख कर ही हँसी आ गई...चम्म्पल चलाने को सही या गलत जो मानूं...
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ReplyDeleteबढिया कार्टून!!
ReplyDeleteराजकुमार जी की तुकबंदी भी बढिया है।:)